
गाँवों की ओर वास्तुकला भारत के ग्रामीण परिवेश पर केंद्रित वेबिनार
गाँवों की ओर वास्तुकला भारत के ग्रामीण परिवेश पर केंद्रित वेबिनार
Axis Institute of Architecture द्वारा PJMT के सहयोग से एक महत्वपूर्ण वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसका विषय था “When Architecture Meets India’s Soul, Her Villages”। यह वेबिनार भारतीय गाँवों की पारंपरिक जीवनशैली, स्थानीय वास्तु तकनीकों और सांस्कृतिक मूल्य प्रणाली के अध्ययन पर आधारित रहा। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन Ar. Vanshika Agarwal के कुशल मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ।
इस वेबिनार का मुख्य उद्देश्य छात्रों और नवोदित वास्तुकारों को यह समझाना था कि भारतीय वास्तुकला केवल शहरीकरण और उच्च-तकनीकी ढांचों तक सीमित नहीं है। देश की असली पहचान उसके गाँवों, मिट्टी, प्रकृति आधारित निर्माण और सामुदायिक जीवन की धारा में रची-बसी है।
वक्ताओं ने बताया कि ग्रामीण वास्तुकला में उपयोग की जाने वाली स्थानीय सामग्री, जलवायु अनुरूप निर्माण तकनीक और सामुदायिक संरचना, आज भी सतत (sustainable) विकास के सर्वोत्तम उदाहरण मानी जाती हैं।
चर्चा के दौरान भारतीय गाँवों की जल संरक्षण प्रणालियों, मिट्टी और लकड़ी आधारित निर्माण, आँगन संस्कृति, जैव-जलवायु डिज़ाइन (bioclimatic design) तथा लागत-प्रभावी निर्माण तकनीकों को विस्तारपूर्वक समझाया गया। यह भी बताया गया कि यदि आधुनिक वास्तुकला, पारंपरिक ग्रामीण ज्ञान को अपनाए, तो न केवल पर्यावरणीय संतुलन मजबूत होगा, बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक धरोहर भी संरक्षित रहेगी।
वेबिनार के दौरान विद्यार्थियों ने ग्रामीण विकास, स्मार्ट विलेज मॉडल, गाँवों में वास्तु संवर्धन, तथा आधुनिक और पारंपरिक तकनीकों के समन्वय से जुड़े अनेक प्रश्न भी पूछे। अंत में Ar. Vanshika Agarwal ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि एक सच्चा वास्तुकार वही है, जो भारत की आत्मा—उसके गाँवों—को समझकर डिज़ाइन करता है।
यह वेबिनार छात्रों के लिए न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि इसने उन्हें यह सोचने के लिए भी प्रेरित किया कि वास्तुकला का भविष्य तभी सशक्त होगा, जब वह भारत की जड़ों से जुड़ा रहेगा।
