“कन्नौज की खुशबू में शिक्षा का रंग”

“कन्नौज की खुशबू में शिक्षा का रंग”

“कन्नौज की खुशबू में शिक्षा का रंग


एक्सिस इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन, कानपुर के बायोटेक्नोलॉजी और मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी विभागों के विद्यार्थियों ने कन्नौज स्थित फ्रेगरेंस एंड फ्लेवर डेवलपमेंट सेंटर का दौरा कर औद्योगिक कौशल का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।


कानपुर स्थित एक्सिस इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन के लाइफ साइंसेज विभाग ने सत्र 2025–26 के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक औद्योगिक भ्रमण का आयोजन किया। यह भ्रमण फ्रेगरेंस एंड फ्लेवर डेवलपमेंट सेंटर (FFDC), कन्नौज में संपन्न हुआ, जिसमें बी.एससी. बायोटेक्नोलॉजी (तृतीय एवं चतुर्थ वर्ष) तथा बी.एससी. मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी (तृतीय वर्ष) के विद्यार्थियों ने भाग लिया।


इस भ्रमण का उद्देश्य विद्यार्थियों को प्राकृतिक सुगंध और स्वाद उत्पादों के विकास, निष्कर्षण (extraction) और संरचना (formulation) की प्रक्रिया का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करना था। कार्यक्रम के तहत छात्रों को एसेंशियल ऑयल्स के निष्कर्षण, गुणवत्ता विश्लेषण (quality analysis) तथा उद्योग में अपनाई जाने वाली आधुनिक तकनीकों से अवगत कराया गया।


कन्नौज, जो प्राचीन काल से “भारत की इत्र नगरी” के नाम से प्रसिद्ध है, आज भी देश-विदेश में अपनी सुगंध उद्योग के लिए जानी जाती है। इस पृष्ठभूमि में FFDC का यह दौरा विद्यार्थियों के लिए विशेष महत्व रखता है। केंद्र पर विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों को बताया कि प्राकृतिक तेलों और सुगंधों के निर्माण में पारंपरिक तकनीकों के साथ-साथ अब वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आधुनिक उपकरणों का प्रयोग किस प्रकार किया जा रहा है।


इस औद्योगिक भ्रमण से विद्यार्थियों को सैद्धांतिक ज्ञान को व्यवहारिक संदर्भों में समझने का अवसर मिला। बायोटेक्नोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के विद्यार्थियों के लिए यह अनुभव न केवल उनके पाठ्यक्रम का एक अहम हिस्सा है, बल्कि भविष्य के अनुसंधान और रोजगार अवसरों की दिशा में भी उपयोगी सिद्ध होगा।


इस दौरे के माध्यम से विद्यार्थियों ने न केवल एरोमा टेक्नोलॉजी की बारीकियों को जाना, बल्कि यह भी समझा कि भारत की सुगंध एवं स्वाद उद्योग वैश्विक बाजार में किस प्रकार अपनी पहचान बना रही है।
एक्सिस कॉलेजेज के चेयरमैन श्री राज कुशवाहा ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के शैक्षणिक भ्रमण छात्रों को उद्योग के वास्तविक परिवेश से जोड़ते हैं और उन्हें नवाचार एवं अनुसंधान के प्रति प्रेरित करते हैं।

उन्होंने छात्रों को ऐसे कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया तथा भविष्य में और अधिक उद्योगिक-शैक्षणिक सहयोग की अपेक्षा व्यक्त की।
संस्थान के निदेशक डॉ. आशीष मलिक और विभागाध्यक्ष डॉ. ईशा यादव ने कहा कि ऐसे उद्योगिक दौरों से छात्रों को फार्मास्युटिकल एवं बायोटेक्नोलॉजी उद्योग के विविध पहलुओं की जानकारी मिलती है, जिससे उनके लिए भविष्य में रोजगार के नए अवसर सृजित होते हैं।


कार्यक्रम का समापन विद्यार्थियों के लिए एक इंटरैक्टिव सत्र के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने अपने अनुभव साझा किए और FFDC के विशेषज्ञों से भविष्य में अनुसंधान के संभावित क्षेत्रों पर चर्चा की।